ISKCON Temple kya hai: आज हम सोशल मिडिया चाहे फेसबुक हो यूट्यूब हो या कोई और प्लेटफॉर्म हर जगह विदेशियों खासकर क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोगो द्वारा हरे रामा और हरे कृष्ण का कीर्तन के वीडियो देखते रहते हैं। आपको बता दें की ये सभी लोग इस्कॉन मंदिर से जुड़े होते है और इस समय इस्कॉन भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का सबसे बड़ा संगठन बन चूका है। इस्कॉन को “हरे कृष्ण आन्दोलन” के नाम से भी जाना जाता है।
इस्कॉन से जुड़े लोग आज दुनियाभार में मौजूद है। लगभग हर बड़े शहर में इस्कॉन मंदिर पाए जाते है। इसके अनुयाई दुनिया भर में राम और कृष्ण के भजन और कीर्तन गाते हुए मिल जायेंगे। चाहे वो न्यूयॉर्क, लंदन, बर्लिन, मास्को, मथुरा, वृंदावन की सड़कों ही क्यों न हों। आज हम जानेंगे इस्कॉन टेम्पल क्या है? और साथ ही जानेंगे ISKCON Temple की पूरी जानकारी।
ISKCON Temple kya hai?
इस्कॉन मंदिर पूरे विश्व में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का सबसे बड़ा मंदिरो का संगठन है। इस्कॉन का मतलब इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस है। ये संगठन दुनिया भर में कृष्ण भक्ति को प्रचारित और प्रसारित करता है। इस्कॉन मंदिर की स्थापना श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने न्यूयॉर्क सिटी में 1966 में की थी।
एक छोटे से समूह से प्रारंभ हुआ ISKCON आज भक्ति का एक बहुत ही सुंदर और बड़ा आंदोलन बन चुका है। इस्कॉन के अनुयायी आज पूरी दुनिया में मौजूद है और वे विश्व में गीता और हिन्दू धर्म एवं हिन्दू संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस्कॉन मंदिर से जुड़े लोगो का सबसे बड़ा मंत्र है…
‘हरे रामा-हरे रामा, राम-राम हरे हरे,
हरे कृष्ण-हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे’।
ISKCON Temple की पूरी जानकारी
इस्कॉन मंदिर आस्था और हिन्दू संस्कृति का एक अनुपम संगम है। इस्कॉन को दुनियाभर में श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार और प्रसार करने के लिए जाना जाता है। इस्कॉन का पूरा नाम अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ है। इस मंदिर की स्थापना पूरे संसार में भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को पहुँचाने के लिए की गई है।
पूरी जानकारी: ISKCON Temple
संक्षिप्त नाम | ISKCON |
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पूरा नाम हिंदी | अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ |
पूरा नाम इंग्लिश | International Society for Krishna Consciousness |
स्थापना | 13 जुलाई 1966 |
स्थापना का स्थान | न्यूयॉर्क अमरीका |
संस्थापक | आचार्य भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद |
मुख्यालय | मायापुर, पश्चिम बंगाल, भारत |
शाखा इकाइयां | 850 शाखा इकाइयां |
सेवा क्षेत्र | सम्पूर्ण विश्व |
संबद्धता | हिन्दू धर्म |
उद्देश्य | आध्यात्म, शिक्षा, धार्मिक सचेतन, धार्मिक अध्ययन |
महामन्त्र | हरे रामा-हरे रामा, राम-राम हरे हरे, हरे कृष्ण-हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे। |
इस्कॉन मंदिर की स्थापना कब हुई?
इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन की स्थापना 1966 में स्वामी प्रभुपादजी ने न्यूयॉर्क सिटी में की थी। इसे “हरे कृष्ण आन्दोलन” के नाम से भी जाना जाता है जिसकी शुरुआत श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने की थी। आज देश-विदेश में इसके 400 से अधिक मंदिर और विद्यालय मौजूद हैं।
ISKCON का Full Form क्या है?
• ISKCON का फुल फॉर्म “International Society for Krishna Consciousness” है।
• इस्कॉन का हिंदी फुल फॉर्म “अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ” है।
कौन है इस्कॉन मंदिर की स्थापना वाले स्वामी प्रभुपादजी?
इस्कॉन मंदिर की स्थापना वाले स्वामी प्रभुपादजी का पूरा नाम श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी था। इनका जन्म 1 सितम्बर 1896 को कोलकाता भारत में हुआ था। स्वामी प्रभुपादजी ने 49 साल की उम्र में संन्यास ले लिया। सन्यास लेने के बाद स्वामी जी ने पूरे विश्व में घूम-घूम कर हरे रामा हरे कृष्णा का प्रचार किया। स्वामी प्रभुपादजी का स्वर्गवास 14 नवम्बर 1977 को वृंदावन में 81 वर्ष की उम्र में हुआ।
एक बार प्रभुपाद महाराज के गुरू भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ने उनसे कहा कि तुम युवा हो, तेजस्वी हो जाओ कृष्ण भक्ति का विदेश में प्रचार-प्रसार करों। अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने के लिए उन्होंने 49 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया और गुरु आज्ञा पूर्ण करने के लिए भगवान कृष्णा की भक्ति का प्रचार प्रसार करने लगे।
इस्कॉन मंदिर के सिद्धान्त
आज पूरी दुनिया में इस्कॉन के इतने अधिक अनुयायी होने का प्रमुख कारण इस्कॉन मंदिर में मिलने वाली असीम शांति है। आज दुनिया भर से इसी शांति की तलाश में लोग आते है। आज कृष्णा की गीता का उपदेश पश्चिम यानि अंग्रेज लोगो के लोगों के लिए बरदान साबित हो रही है। ISKCON Temple की पूरी जानकारी के अनुसार इस्कॉन मंदिर में आस्था रखने वालों को चार सरल नियमों का पालन करना होता है जो निम्न है।
- तप
- दया
- सत्य
- मन की शुद्धता
इस्कॉन मंदिर के नियम
अपने सिद्धान्त के अलावा इस्कॉन के अनुयायी मुख्यत: चार नियमों का पालन करते हैं जो निम्न है।
- इस्कॉन के अनुयायी को तामसिक भोजन त्यागना होता है। इसके तहत उन्हें प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि से दूर रहना होता है।
- अनैतिक आचरण से दूर रहना जैसे की जुआ, पब, वेश्यालय जैसे स्थानों पर जाना अनैतिक आचरण के अंतर्गत आता है।
- इस्कॉन के अनुयायी को रोजाना एक घंटा शास्त्राध्ययन में बिताना होता है। इसमें गीता के साथ साथ भारतीय धर्म और इतिहास से जुड़े शास्त्रों का अध्ययन करना होता है।
- सबसे महत्वपूर्ण सभी को रोजाना हरे कृष्णा-हरे कृष्णा’ नाम की 16 बार माला जपनी होती है।
PM मोदी ने कहा इस्कॉन ने दुनिया को बताया आस्था का मतलब
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISKCON Temple kya hai के बारे में बोलते हुए कहा कि “आज दुनिया के अलग-अलग देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं, कितने ही गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं। इस्कॉन ने दुनिया को बताया है कि भारत के लिए आस्था का मतलब है- उमंग, उत्साह और उल्लास और मानवता पर विश्वास”
आज दुनिया के अलग-अलग देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं, कितने ही गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं। इस्कॉन ने दुनिया को बताया है कि भारत के लिए आस्था का मतलब है- उमंग, उत्साह और उल्लास और मानवता पर विश्वास: PM मोदी pic.twitter.com/hL4DQffmOg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 1, 2021