History Shri Krishna Janmasthan Mandir MathuraHistory Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura

Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura: भारत में जब भी विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा लूटपाट के इरादे से हमले किये गए उसमे अधिकतर उनकी निगाहो पर हिन्दू मंदिर ही थे। सोभनाथ, अयोध्या की तरह मथुरा के श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान पर भी आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने हमला किया था। महमूद गजनवी ने लूटकर इस धर्मस्‍थल को भी तोड़ डाला था।

यह मंदिर कई स्लामिक लुटेरों और कट्टरपंथिओं द्वारा अनेकों बार तोडा जा चूका है। आधिकारिक आंकड़ों की माने तो मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को अबतक तीन बार तोड़ा और चार बार बनाया जा चुका है। अभी भी इस जगह पर अधिकार ज़माने को लेकर दो पक्षों में कोर्ट में विवाद चल रहा है। तो आइये जानते है की Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura का असली और पूरा इतिहास।

 

कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का असली इतिहास

Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura

कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का असली इतिहास हमेसा से ही लोगो से छुपाया गया। देश की जनता को उतना ही बताया गया जिससे लोगो की आवाज दबी रहे। आइये आज हम कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा (Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura) के असली इतिहास को निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर जानने की कोशिस करते है।

 

कंस का कारागार ही है आज का कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान मंदिर

आपको बता दे की जिस जगह पर आज कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान है वहां पांच हजार साल पहले मल्‍लपुरा क्षेत्र के कटरा केशव देव में राजा कंस का कारागार हुआ करता था।

कंश के इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को भगवान कृष्‍ण ने जन्‍म लिया था। इसीलिए देश के कई बड़े इतिहासकारों ने कटरा केशवदेव कारागार को ही कृष्ण जन्मभूमि माना।

इतिहासकार डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल (Dr. Vasudev Sharan Agarwal) ने भी कटरा केशवदेव को ही कृष्ण जन्मभूमि माना है।

मथुरा के इस कृष्णा जन्मभूमि मंदिर के विभिन्न अध्‍ययनों और साक्ष्यों के आधार पर मथुरा के राजनीतिक संग्रहालय के कृष्णदत्त वाजपेयी(Krishna Dutt Vajpayee) ने भी स्वीकारा कि कटरा केशवदेव ही कृष्ण की असली जन्मभूमि है।

 

कारागार पर कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने बनवाया था पहला मंदिर

जैसा की विश्व विदित है की भगवान श्रीकृष्ण कंश के कारागार में ही पैदा हुए थे। इतिहास में मिले साक्ष्य के अनुसार इस कारागार के पास सबसे पहले भगवान कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने अपने कुलदेवता भगवान कृष्णा की स्मृति में एक मंदिर बनवाया था।

मथुरा के इस मंदिर से मिले शिलालेखों पर ब्राहम्मी-लिपि में लिखा हुआ था। ब्राहम्मी-लिपि से यह पता चलता है कि यहां शोडास के राज्य काल में वसु नामक व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक मंदिर और मंदिर के तोरण-द्वार और साथ ही वेदिका का निर्माण कराया था।

 

महाराजा विक्रमादित्य ने बनवाया था दूसरा बड़ा मंदिर

Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura: सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में दूसरा मंदिर 400 ईसवी में बनवाया गया था। विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया यह भव्‍य मंदिर था। विक्रमादित्य के समय मथुरा संस्कृति और कला के बड़े केंद्र के रूप में उदित हुआ था और इस दौरान यहां हिन्दू धर्म बड़े भव्य तरीके से फल फूल रहा था।

 

महमूद गजनवी ने सन 1017 ई में तोडा कृष्णा जन्मभूमि मंदिर

महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए Shri Krishna Janmasthan Mandir Mathura के इस भव्य मंदिर को महमूद गजनवी ने सन 1017 ई. में आक्रमण करके इसे लूट लिया। सभी मुग़ल और तुर्क लुटेरों में मंदिरो के प्रति इतनी घृणा थी की वे मंदिरों को लूटने के बाद तोड़ दिया करते थे। महमूद गजनवी ने भी मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को तोड़ दिया।

 

वि‍जयपाल देव के शासनकाल में बना तीसरा बड़ा मंदिर

मंदिर के आस पास खुदाई में मिले संस्कृत के एक शिलालेख से पता चलता है कि सन 1150 ईस्वी में राजा विजयपाल देव (Vijayapala Deva) के शासनकाल के दौरान जज्ज(Jajj) नामक व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक नया मंदि‍र बनवाया था। जज्ज ने तीसरी बार एक विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था।

 

ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने इसी स्थान पर चौथी बार बनवाया मंदिर

वि‍जयपाल देव के शासनकाल में बने इस मंदिर को 16वीं शताब्दी के शुरुआत में सिकंदर लोदी के शासन काल में नष्ट कर दिया गया था। मंदिर के तोड़े जाने के लगभग 125 वर्षों बाद जहांगीर के शासनकाल के दौरान ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने चौथी बार इसी स्थान पर भगवान कृष्णा का मंदिर बनवाया।

मंदिर परिषर में प्राप्त अवशेषों के आधार पता चलता है कि इस कृष्णा मंदिर के चारों ओर एक ऊंची दीवार का परकोटा मौजूद था। इस मंदिर के दक्षिण पश्चिम के कोने में एक बड़ा कुआं भी राजा वीर सिंह देव बुंदेला के साशन काल में बनवाया गया थाऔर इस कुएं से पानी को 60 फीट ऊंचाई पर ले जाकर मंदि‍र के बीचोबीच प्रांगण में बने फव्‍वारे को चलाया जाता था। आज तक इस स्थान पर बने उस कुएं के अवशेष मौजूद है।

 

1669 में औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़कर परिसर में बनाई गई मस्जिद

मथुरा के इस कृष्णा जन्मभूमि मंदिर की भव्यता शानदार थी की इससे चिढ़कर औरंगजेब ने सन 1669 में इस मंदिर को तुड़वा दिया। मंदिर को तोड़ने के साथ साथ औरंगजेब ने इसके एक भाग पर ईदगाह का निर्माण करा दिया जो आज भी मौजूद है।

भारत के इतिहास में वैसे तो सभी मुग़ल शासक ही लुटेरे और आक्रांता रहे है लेकिन उनमे औरंगजेब सबसे बड़ा दुर्दांत शाशक था। उसने अपने शासनकाल के दौरान अनेको मंदिरो को तुड़वाया जिसमे मथुरा का श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर प्रमुख है।

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा मंदिर का असली इतिहास
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा मंदिर का असली इतिहास

 

बिड़ला ने की श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि‍ट्रस्ट की स्‍थापना

साल 1943 में भारत के उद्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला कृष्णा दर्शन के लिए मथुरा आए और वे भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि की दुर्दशा देखकर बड़े दुखी हुए। पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने बिड़ला को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुनर्रुद्धार को लेकर एक पत्र लिखा। मालवीय के पत्र का जबाब देते हुए बिड़ला ने भी इस स्थान को लेकर अपने दर्द को मालवीय जी के साथ साझा किया।

पंडित मदन मोहन मालवीय जी की इच्छा का सम्मान करते हुए जुगलकिशोर बिड़ला ने सात फरवरी 1944 को कटरा केशव देव (जन्मस्थान) को राजा पटनीमल के तत्कालीन उत्तराधिकारियों से खरीद लिया। और मालवीय जी की अंति‍म इच्छा के अनुसार उद्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला ने 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की।

 

1945 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना से पहले मुसलमानों की आपत्ति!

द्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला के श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना से पहले ही मथुरा के रहने वाले कुछ मुसलमानों ने इसके खिलाफ 1945 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रिट दाखिल कर दी। करीब 8 साल बाद 1953 में Shri Krishna Janmabhoomi Trust के हक़ में इसका फैसला आया और इसके बाद ही यहां निर्माण कार्य शुरू हो सका।

 

1982 में पूरा हुआ मौजूदा मंदिर का निर्माण कार्य

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा मंदिर के जीर्णीद्धार का कार्य सुरु कराया गया था जो जो फरवरी 1982 में पूरा हुआ। मथुरा के इस मंदिर के गर्भ गृह और भव्य भागवत भवन के पुनर्रुद्धार और निर्माण कार्य भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा पूरा किया गया।

 

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