छठी मैया कौन हैं? जानिए छठी मैया के जन्म की पूरी कहानी!छठी मैया कौन हैं? जानिए छठी मैया के जन्म की पूरी कहानी!

छठी मैया कौन हैं: हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठी मैया का पर्व महाछठ मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मइया भगवान सूर्य की बहन है। इसलिए महाछठ के इस पर्व के दिन भगवन सूर्य देव और उनकी बहन छट मैया की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाछठ का यह व्रत संतान की प्राप्ति उसकी कुशलता और संतान की दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है। आज हम आपको बताएँगे की आखिर छठी मैया कौन हैं? जिनकी पूजा आज पुरे विश्व में धूम धाम से की जाती है।

 

छठी मैया कौन हैं?

हिन्दू शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया भगवान ब्रह्माजी  की मानस पुत्री और भगवन सूर्य देव की बहन हैं। महाछठ का पर्व भगवन सूर्य देव की बहन छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया था। ब्रह्माजी के दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया।

आपको बता दें की सृष्टि की रचना और उसका पालन पोषण करने वाली प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है पड़ा जिसे आज छठी मैया के नाम से जाना जाता है।

छठी मैया कौन हैं आज किसी से छुपा नहीं है। आपको बता दें की शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं छठी मैया की पूजा की जाती है। छठी मैया की उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और उसकी दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। हमारे पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी भी बताया गया है जिनकी नवरात्रि के छठे दिन पूजा की जाती है।

 

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क्यों मनाया जाता है छठी मइया का पर्व?

छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है। आज कल तो सभी छठ का त्यौहार मानते है लेकिन पहले छठ पर्व वही लोग मनाते थे जिन्हें संतान का प्राप्ति नही हुई हो। बाकि सभी लोग अपने बच्चों की सुख-शांति, बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और उसकी दीर्घायु के लिए छठ मनाते हैं।

 

छठी मैया पूजा तिथि 2021:

  • कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय से इस पर्व की शुरुआत हो जाती है।
  • षष्ठी तिथि को छठ व्रत की पूजा, व्रत और डूबते हुए सूरज को अर्घ्य के बाद अगले दिन सप्तमी को उगते सूर्य को जल देकर प्रणाम करने के बाद व्रत का समापन किया जाता है।
  • इस बार 8 नवंबर को नहाय-खाय से छठ व्रत का आरंभ होगा।
  • अगले दिन 9 नवंबर को खरना किया जाएगा।
  • 10 नवंबर षष्ठी तिथि को मुख्य छठ पूजन किया जाएगा
  • 11 नवंबर सप्तमी तिथि को छठ पर्व के व्रत का पारणा किया जाएगा।

 

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