किसान आंदोलन (Kisan Andolan) दिन पर दिन उग्र रूप लेता जा रहा है और किसान सरकार के किसी भी आश्वासन को स्वीकार करने के मूड में नहीं दिख रहे है। क्या हमारे देश के किसान इतने स्वार्थी है की वे सरकारी सम्पत्तिओं को नुक्सान पंहुचा सकते है? जबाब है कभी नहीं ! तो फिर इतना उग्र प्रदर्सन क्यों और किसके इसारे पर ? चलिए इस गंडित को समझा जाये !
किसान आंदोलन(Kisan Andolan) में राजनैतिक नेताओ का क्या काम ?
जबसे किसान आंदोलन सुरु हुआ तबसे ही राजनैतिक पार्टिया इसे भुनाने में लगी हुई है या यूँ कहे की कुछ हद तक इसे भुनाने में कामयाब भी हुई है। सबसे पहले बात करते है हमारे देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के बारे में जो सुरु से ही किसान आंदोलनों को हवा देती आई है जिससे केंद्र की राजनीती वापसी की जा सके क्योकि कांग्रेस की जमीं पिछले 6 सालो में लगातार घट रही है और उसे किसान आंदोलन के रूप में एक रोशनी की किरण दिखी है।
आखिर किसान आंदोलन सिर्फ पंजाब के कुछ छेत्रों तक ही सिमित क्यों ?
किसान अन्दीलन में जो सबसे बड़ा सवाल उठता है वह यह है की: आखिर किसान आंदोलन में पंजाब का किसान ही सक्रीय भूमिका में क्यों नजर आ रहा है जबकि कृषि कानूनों का प्रभाव तो पूरे भारत पर पड़ेगा, क्या बात है की पंजाब के किसान भारत सरकार की किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर रहे जबकि सरकार की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है। इसका जबाब है की पंजाब में मौजूदा समय में कांग्रेस की सरकार है और तत्कालीन कांग्रेस सरकार पूरी तरह से किसान आंदोलन को समर्थन दे रही है।
अब किसान आंदोलन पर राजनीती हावी हो गई है ?
मौजूदा दौर का किसान आंदोलन देख कर लगता है की अब यह किसान आंदोलन नहीं रहा इसपर पूर्ण रूप से राजनेताओं और सरकार विरोधी संस्थाओं का कब्ज़ा हो गया है जो अब किसानो को बरगलाकर सरकार के खिलाफ खड़े कर रहे है जिसमे मुद्दा कही खो गया है।
ये राजनैतिक गिद्ध अपने स्वार्थ के लिए किसानो की बलि देने पे आमदा है क्योकि इनकी दूकान कुछ दिन से किसान आंदोलन के नाम पर चल निकली है। ये नेता किसान आंदोलन के समय किसान का बीटा बन जाते है, CAA प्रोटेस्ट के दौरान समाजसेवी बन जाते है और अपने आपको किसानो का चेहरा बनाकर अपने आपकी आगे कर देते है ताकि इन्हे मिडिया कवरेज मिल सके।
क्या है कृषि से जुड़े तीन बिल जिनका विरोध हो रहा है?
First bill : Farmer’s Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020
केंद्र सरकार ने इस बिल के जरिये किसानों को देश में कहीं भी फसल बेचने को आजाद कर दिया है। जिससे राज्यों के बीच कारोबार बढ़ेगा। जिससे मार्केटिंग और ट्रांस्पोर्टिशन पर भी खर्च कम होगा और किसान की आमदनी भी बढ़ेगी।
Second bill: Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Act, 2020
इस बिल के जरिये सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविज़न किया है. यह बिल कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज़, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत किया है. किसानों को क़्वालिटी बीज की सप्लाई उपलब्ध करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज लेने की सहूलत और फसल बीमा की सहूलत सरकार द्वारा मुहैया कराई गई है.
Third bill: 3. Essential Commodities (Amendment) Act, 2020
सरकार ने इस बिल के जरिये अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू-प्याज को जरूरी चीजो की लिस्ट से हटाने का प्रावधान किया है। जिससे किसानों को इनकी अच्छी कीमत मिल सके और देश का किसान मजबूत हो।
तीनो बिल पढ़कर देश के आनंदता खुद फैसला करें :
किसान बिल को लेकर जीतनी भ्रांतियां विपक्ष द्वारा फैलाई गई है उसका समाधान केवल यही है की किसानो को जागरूक किया जाय और बिल के बारे में सही जानकारी दी जाए जिससे की सरकार और किसान के बीच जारी गतिरोध को दूर किया जा सके। हमारे देश का पालनकर्ता अन्नदाता किसान सोचने और समझने में समर्थ है और इस देश को विश्वाश है की वह कानून के दायरे में रहकर कोई न कोई हल जरूर निकाल लेगा।