History of Kashi Vishwanath Temple in Hindi: इस्लामिक अक्रान्ताओ द्वारा कई बार ध्वस्त किये गए काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि एक बार काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने जीवन के पाप कट जाते है और वाराणसी के पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भारत में जब भी विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा लूटपाट के इरादे से हमले किये गए उसमे अधिकतर उनकी निगाहो पर हिन्दू मंदिर ही थे। यह मंदिर देश के अंदर शासन कर रहे स्लामिक लुटेरों और कट्टरपंथिओं द्वारा अनेकों बार तोडा जा चूका है। आइये जानते है आखिर क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास?
History of Kashi Vishwanath Temple in Hindi
पौराणिक मान्यताओं की माने तो काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास युगो-युगांतर से है। विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान शिव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर नाम से भी जाना है। विश्वेश्वर शब्द का अर्थ होता है ‘ब्रह्माड का शासक’। यह मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित है। इस्लामिक अक्रान्ताओ द्वारा कई बार ध्वस्त किये गए काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म का प्रतिक और पावन मंदिरो में से एक माना जाता है। आइये जानते है इस्लामिक अक्रान्ताओ द्वारा कई बार ध्वस्त किये गए काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास।
क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास?
वाराणसी में स्थित भगवान शंकर का यह पौराणिक मंदिर हिंदूओं के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख महाभारत और उपनिषदों में भी मिलता है। काशी विश्वनाथ मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है। धार्मिक मान्यता कि यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का यह आदि स्थान है।
काशी विश्वनाथ का जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाया था। वर्ष 1194 में इस्लामिक आक्रांता मुहम्मद गौरी ने ही इसे तोड़ दिया। जिसे हिन्दू राजाओ द्वारा एक बार फिर बनाया गया लेकिन वर्ष 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने इसे फिर तुड़वा दिया।
इतिहासकारों के मुताबिक दुबारा काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार राजा टोडरमल ने कराया था। उन्होंने साल 1585 में नारायण भट्ट की मदद से इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
साल 1669 में औरंगजेब ने एक मुगलई फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद का निर्माण कराने का आदेश दिया। आज भी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मंदिर के आधे भाग पर औरंगजेब द्वारा बनवाई गई मस्जिद मौजूद है। काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान ढांचे का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने साल 1777 में कराया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास के महत्वपूर्ण विन्दु!
- चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार काशी में उस समय सौसे अधिक मंदिर थे। इस्लामिक अक्रान्ताओ और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने उस समय के सभी मंदिर ध्वस्त कर मस्जिदों का निर्माण कराया था।
- 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
- इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था।
- हिन्दू राजाओ और चिंतकों द्वारा इसे फिर से बनाया गया लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया।
- सन् 1585 ई में पुन: राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।
- काशी विश्वनाथ मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां के आदेश पर इसे तोड़ने के लिए सेना भेजी गई थी जिसने काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए। लेकिन हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर परिसर को मुग़ल सेना तोड़ नहीं सकी।
- टोडरमल ने साल 1585 में नारायण भट्ट की मदद से इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
- औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को एक इस्लामिक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह मुगलई फरमान आज भी एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में सुरक्षित है।
- औरंगजेब के समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस मंदिर ध्वंस का वर्णन मौजूद है।
- मंदिर तोड़कर औरंगजेब के आदेश पर ही यहां एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई।
- काशी विश्वनाथ मंदिर के मौजूदा ढांचे का निर्माण साल 1777 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता!
हिन्दू धर्म में ये मान्यता हैं कि प्रलयकाल में भी काशी विश्वनाथ का लोप नहीं होता। प्रलय के समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और पुनः नए युग में सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। काशी को आदि सृष्टि स्थली भी कहा जाता है। काशी ही वह भूमि है जहा भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने की कामना से तपस्या करके भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया था।
मान्यता है की यही पर भगवान विष्णु के शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए जिन्होने सारे संसार की रचना की। कहा जाता है कि अगस्त्य मुनि ने भी विश्वेश्वर की बड़ी आराधना की थी। अगस्त्य मुनि की अर्चना से श्रीवशिष्ठजी तीनों लोकों में पुजित हुए तथा राजर्षि विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाये।
काशी विश्वनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्त्व:
कहा जाता है की काशी आ जाने पर सभी तीर्थ अपने आप ही जाते है। क्योकि काशी में माँ गंगा और भगवान विश्वनाथ की ऐसी महिमा है की यहाँ सभी के पाप काट जाते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां काशी में प्राणत्याग करने से ही मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यता है की भगवान भोलानाथ मरते हुए प्राणी के कान में तारक-मंत्र का उपदेश करते हैं जिससे उसे मृत्युलोक में आवगमन से मुक्ति मिल जाती। मतस्यपुराण में कहा गया है कि जप, ध्यान और ज्ञान से रहित एवंम दुखों परिपीड़ित जनों के लिये काशीपुरी ही एकमात्र गति है।
रोचक तथ्य: History of Kashi Vishwanath Temple in Hindi
- पौराणिक मान्यता है कि वाराणसी शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर को सोने का मंदिर भी कहा जाता है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर के गुंबद को सोने का बनाया गया है। पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने इसके लिए सोना दान में दिया था।
- हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पवित्र नदी गंगा में स्नान करके काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में मंडप और शिवलिंग है जो चांदी की चौकोर वेदी में स्थापित हैं।
- इस मंदिर परिसर में कालभैरव, भगवान विष्णु और विरूपाक्ष गौरी के भी मंदिर हैं।
- धार्मिक मान्यता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी।
- काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद और गोस्वामी तुलसीदास भी यहाँ आये थे।
- काशी विश्वनाथ का यह मंदिर 15.5 मीटर ऊंचा है।
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