आप सभी के मन में गोधरा कांड (Godhra Kand) को लेकर कई तरह के सवाल रहते है की आखिर गोधरा कांड है क्या ? इसे किसने अंजाम दिया ? क्या इसमें कोई राजनैतिक महत्वकांछा थी ? या फिर किसी सिरफिरी और हिंसक भीड़ ने इसे अंजाम दिया? और सबसे महत्वपूर्ण क्या यह एक मजहबी हिंसा थी जहा कट्टरपंथिओं के इसारे पर औरतों और बच्चो सहित 59 रामभक्त कारसेवकों को जिन्दा जलाकर मौत के घात उतार दिया गया ? आज हम आपके इन सभी सवालों का जबाब बड़ी बेबाकी से देने की कोशिश करेंगे।
गोधरा कांड क्या था?
लगभग 19 साल पहले 27 फरवरी 2002 की सुबह गोधरा कांड (Gujarat Godhra Kand) हुआ था। ये भारतीय इतिहास के पन्नो की सबसे कायरता पूर्ण घटना थी जिसमे अयोध्या से ही लौट रहे 59 राम भक्तों को कट्टरपंथिओं की उन्मादी भीड़ द्वारा जलाकर मार डाला गया जिसमे 27 महिला, 22 पुरुष, 10 बच्चे भी थे।
गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 की सुबह साबरमती एक्सप्रेस के कोच S-6 को कट्टरपंथिओं के द्वारा जला दिया गया जिसमे पूरे डब्बे में बैठे 59 कारसेवकों की मृत्यु हो गई इनका गुनाह सिर्फ इतना था की ये हिंदू थे और ये कारसेवक अयोध्या से विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित पूर्णाहुति महायज्ञ में भाग लेकर वापस लौट रहे थे।
27 फरवरी की सुबह ट्रेन गोधरा पहुँची और जैसे ही ट्रेन गोधरा स्टेशन से रवाना होने लगी ट्रैन की चेन खींच दी गईऔर ट्रेन पर हजारों लोगों की मजहबी भीड़ ने हमला कर दिया और पत्थरबाजी करते हुए कारसेवकों के डब्बे में पेट्रोल डालकर उसमें आग लगा दी और इसी गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे (Gujarat Riots) भड़क उठे।
गोधरा कांड था गुजरात दंगों की असली वजह?
इस घटना से पूरा देश दहल गया था और यही गोधरा कांड(Godhra Kand) गुजरात के साम्प्रदाइक दंगों का कारण भी बना। गोधरा कांड में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी(FIR) दर्ज की गई थी। 27 फरवरी 2002 की इस घटना के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी और लोगों को जान-माल का भारी नुकसान हुआ।गुजरात के तात्कालिक हालात तो इस कदर बिगड़ गए थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी। गुजरात के इस दंगो(Gujarat riots) में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1200 लोगों की मौत हुई थी।
गोधरा कांड (Godhra Kand) की जाँच के लिए नानावटी आयोग का गठन
तात्कालिक गुजरात सरकार जिसके मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे जो अब भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री भी है उन्होंने इस घटना (Godhra Kand) की जाँच के लिए गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश केजी शाह (Justice K G Shah) की एक सदस्यीय समिति गठित की। लेकिन इसका विपक्ष व मानवाधिकार संगठनों विरोध करना सुरु कर दिया। बाद में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जीटी नानावटी (Nanavati commission) की अध्यक्षता में समिति का पुनर्गठन किया और न्यायाधीश केजी शाह को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया।
2008 में केजी शाह की मृत्यु हो जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी जगह अप्रैल 2008 में सेवानिवृत्त न्यायाधीश अक्षय कुमार मेहता को समिति का सदस्य नियुक्त किया। इसलिए इस समिति को बाद में नानावटी मेहता समिति के नाम से भी जाना गया। इस समिति ने लगभग 6 साल की जाँच के उपरांत सभी तथ्यों और घटनाओं की पूर्ण जाँच करने के बाद वर्ष 2014 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
नानावटी आयोग की फाइनल रिपोर्ट में क्या था?
नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गोधरा कांड (Godhra Kand) एक षड्यंत्र था और इसमें मुख्य षड्यंत्रकारी गोधरा का मौलवी हुसैन हाजी इब्राहिम उमर और ननूमियाँ थे जिन्होंने फालिया एरिया के मुस्लिमों को भड़काकर इस कायरतापूर्ण षड्यंत्र को अंजाम दिया। ये एक सडयंत्र था इसका पता इस इससे चलता है की ट्रेन को जलाने के लिए पहले से ही रज्जाक कुरकुर के गेस्ट हाउस पर 140 लीटर पेट्रोल एकत्रित किया गया। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री के अनुसार आग लगने के कारण ज्वलनशील द्रव को कोच के अंदर डालकर आग लगाई गई थी। गोघरा की ये घटना एक सोची समझी साजिश थी ये केवल दुर्घटना मात्र नहीं थी।
Godhra Kand के गुनहगार कौन थे?
गुजरात के दिल दहला देने वाले गोधरा कांड (Gujarat Godhra Kand) में SIT ने कुल 68 लोगों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की थी जिसमे सभी के सभी एक खास मजहब को मानाने वाले लोग थे जिसमे मौलवी भी शामिल था। इस चार्जशीट में यह भी उल्लेख था कि भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया और फायर ब्रिगेड की गाड़ी को भी रोकने की कोशिश की जिससे जल रहे डब्बे को बुझाया ना जा सके।
गोधरा की घटना पर 2011 में विशेष ट्रॉयल कोर्ट ने कुल 31 लोगों को दोषी पाया जिसमे कुल 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। ये वही लोग थे जिन्होंने गोधरा में ट्रेन जलाने का भीषण षड्यंत्र रचा और कोच में घुसकर चारो ओर पेट्रोल छिड़का था और पूरे कोच को आग लगा दी थी, इसके अलावां कोर्ट ने अन्य 20 को आजीवन कारावास की भी सजा सुनाई थी ।