Niti Aayog Poverty Index 2021: नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानि Multidimensional Poverty Index (MPI) के अनुसार भारत के सबसे गरीब राज्यों की सूची जारी कर दी है। नीति आयोग गरीबी सूचकांक 2021 के अनुसार अनुसार बिहार, झारखंड देश के सबसे गरीब राज्यों में सबसे ऊपर हैं। आपको बता कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में मुख्य रूप से परिवार की आर्थिक हालात और अभाव की स्थिति को आंका जाता है। आज हम आपको बताएँगे की Niti Aayog Poverty Index के अनुसार भारत के सबसे गरीब राज्य कौन है?
भारत के सबसे गरीब राज्य!
NITI आयोग के Multidimensional Poverty Index (MPI) के अनुसार बिहार और झारखंड भारत के सबसे गरीब राज्य हैं। MPI के अनुसार जहा बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है वहीं झारखंड में 42.16 प्रतिशत की आबादी गरीबी में अपना जीवन यापन कर रही है। अगर हम देश के सबसे अमीर राज्यों की बात करें तो केरल की सिर्फ 0.71 प्रतिशत आबादी गरीब है वही दूसरे नंबर पर गोवा की सिर्फ 3.76 प्रतिशत आबादी गरीब है।
देश के सबसे गरीब राज्यों की सूची!
नीति आयोग ने अपनी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की रिपोर्ट में कहा है कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे निर्धन राज्यों में शामिल हैं। सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है। इसके बाद झारखंड का नंबर है। वहां की 42.16 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करती है।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है और वहां 37.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं। मध्य प्रदेश में 36.65 प्रतिशत और मेघालय में 32.67 प्रतिशत गरीब आबादी के साथ क्रमशः चौथे और पांचवे स्थान पर है। देश के सबसे कम गरीब राज्यों में केरल (0.71 प्रतिशत) शीर्ष पर है। इसके बाद क्रमशः गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) का स्थान है।
Niti Aayog Poverty Index 2021 का आधार!
बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मुख्य रूप से परिवारकी आर्थिक हालात और अभाव की स्थिति को आंका जाता है। निति आयोग ने Multidimensional Poverty Index (MPI) की लिस्ट इन तीन समान आयाम के आधार पर बनाई है।
- स्वास्थ्य
- शिक्षा
- जीवन स्तर
Multidimensional Poverty Index (MPI) का आंकलन!
वर्ष 2015 में 193 देशों द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रूपरेखा ने दुनिया भर में विकास की प्रगति को मापने के लिए विकास नीतियों और सरकारी प्राथमिकताओं को फिर से परिभाषित किया है। इसका आकलन निन्मलिखित 12 संकेतकों के जरिये किया जाता है।
- पोषण
- बाल और किशोर मृत्यु दर
- प्रसवपूर्व देखभाल
- स्कूली शिक्षा के वर्ष
- स्कूल में उपस्थिति
- खाना पकाने के ईंधन
- स्वच्छता
- पीने का पानी
- बिजली
- आवास
- संपत्ति
- बैंक खाते
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का बयान!
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक का विकसित होना एक सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह बहुआयामी गरीबी की निगरानी करने के साथ साक्ष्य-आधारित और केंद्रित हस्तक्षेपों के बारे में सूचित करता है। Multidimensional Poverty Index (MPI) से यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी पीछे रह गया है।