Lakhimpur Kheri Violence Live Update: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा पर अब राजनीति हाबी होती दिख रही है। वहां उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से शांति बहाली की हरसंभव कोशिस की जा रही है। सरकार और पुलिस प्रशासन की माने तो स्थिति अभी पूरी तरह नियंत्रण में है। लेकिन विपक्षी नेताओं के लखीमपुर पहुंचने से स्थिति और भी बिगड़ सकती है। लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। सभी विपक्षी दल योगी इस समय योगी सरकार की घेराबंदी करने के लिए लखीमपुर खीरी जाने को बेताब हैं। आइये जानते है आखिर विपक्षी नेताओं को लखीमपुर जाने की बेचैनी क्यों है?
Lakhimpur Kheri Violence Live Update:
उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी में हिंसा के बाद अब एक राजनीतिक अखाड़ा बन चूका है। विपक्षी नेता लखीमपुर खीरी जाकर किसानों से मिलना चाहते हैं लेकिन प्रशासन सख्त है। लखनऊ में रोके जाने पर अखिलेश यादव लखनऊ में सड़क पर ही धरने पर बैठ गए थे जिसके बाद उनको हिरासत में लिया गया। इससे पहले लखीमपुर खीरी जा रही प्रियंका गांधी को सीतापुर में हिरासत में लिया गया।
आपको बता दें की लखीमपुर खीरी में रविवार को किसान प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने उन किसानों पर कार चढ़ाई थी। लेकिन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा की उस वक्त वे और उनका बेटा मौके पर मौजूद नहीं थे।
आखिर विपक्षी नेताओं को लखीमपुर जाने की बेचैनी क्यों है?
पूरा विपक्ष इस समय लखीमपुर खीरी की घटना को भुनाने लगा हुआ है। Lakhimpur Kheri Violence Live Update में इस समय लखीमपुर खीरी जाते समय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव समेत कई नेता हिरासत में लिए गए हैं। शिवपाल यादव को तो घर में ही नजरबंद किया गया है। लेकिन वह दीवार फांदकर भाग निकले जिन्हे बाद में हिरासत में ले लिया गया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी हिरासत में लिया गया है। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने अखिलेश के घर के बाहर खड़ी पुलिस जीप में आग लगा दी। बीजेपी के लोगो का कहना है की आग समाजवादी पार्टी के गुंडों ने लगाई होगी। पुलिस ने सपा सांसद रामगोपाल यादव समेत कई अन्य कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया है।
हिंसा से कोई मतलब नहीं विपक्ष को तो दिख रहा है मौका?
आपको बता दें की पिछले साल शुरू हुए किसान आंदोलन का प्रभाव अधिकतर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर तक सीमित रहा है। थोड़ा बहुत पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं रहा। अब राजधानी लखनऊ से करीब 130 किलोमीटर दूर स्थित लखीमपुर खीरी में हुई घटना से विपक्ष को UP में आंदोलन को रफ्तार देने का मौका दिख रहा है।
आपको बता दे की तथाकथित किसान नेता भी लगातार बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं। क्योकि वे किसान कम और किसी न किसी राजनैतिक पार्टी के सरोकार ज्यादा है। राकेश टिकैत तो साफ कह चुके हैं 2022 चुनाव में योगी को हराने के लिए वोट करना है। अब ऐसे में विपक्ष की यही कोशिश होगी इस घटना के जरिये आंदोलन को हवा देकर बीजेपी को दोबारा सत्ता में लौटने से रोका जाए।