Hartalika Teej Vrat Kya hai: हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज व्रत को केवल शादीशुदा महिलाएं ही नहीं बल्कि कुंवारी लड़कियां भी रख सकती है। Hartalika Teej का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अखंड जुड़ाव का प्रतीक है। यह व्रत समाज में पति और पत्नी के बीच सत्य और धर्म के जुड़ाव का प्रतिक है। हरतालिका तीज व्रत हमें एक शांत और मंगलकारी परिवार की ओर ले जाती है। इसलिए आज हम जानेंगे हरतालिका तीज व्रत की पूरी जानकारी।
हरतालिका तीज व्रत की पूरी जानकारी
हरतालिका तीज व्रत पूरे भारत में पति पत्नी के प्रेम का प्रतिक है इसलिए आज हम जानेंगे हरतालिका तीज व्रत क्या है? हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है? हरतालिका तीज व्रत की पूजा और कथा विधि क्या है? हरतालिका तीज व्रत रखने के महत्वपूर्ण नियम क्या है? हरतालिका तीज व्रत की पूजा सामग्री क्या है? रतालिका तीज व्रत की पूजा विधि क्या है? हरतालिका तीज व्रत की दान सामग्री क्या है?
Hartalika Teej Vrat Kya hai?
जानिए अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाने वाला हरतालिका तीज व्रत क्या है?
भारतीय पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रकती है और माता पार्वती का पूजन कर अपने पति की दीर्घायु की कामना कराती है। रतालिका तीज का व्रत सुखी दम्पति जीवन के लिए किया जाता है।
आपको बता दे की इस साल हरतालिका तीज व्रत पंचांग के अनुसार 9 सितंबर को रखा जायेगा। इस दिन महिलाओं के मायके से श्रृंगार का समान जैसे की मिठाई, फल और कपड़े भेजे जाते हैं। भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला सबसे कठिन और सबसे फलदायी व्रत माना गया है।
हरतालिका का अर्थ
Hartalika Teej Vrat Kya hai? जैसा की नाम से ही स्पष्ट है की हरतालिका शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है हर और दूसरा है तालिका। हर का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन माता पार्वती की सखियां उनका हरण करके उनके पिता हिमालय के घर से जंगल ले कर आई थी। और यहीं जंगल में ही माता पार्वती ने कठोर तप किया और भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था।
हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?
- हमारे भारतीय पंचांग की गणना के अनुसार इस साल हरतालिका तीज व्रत पर सबसे शुभ रवियोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों द्वारा ये माना जा रहा है कि यह योग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है।
- हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त का यह योग 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
- हरतालिका तीज व्रत में पूजा के लिए सबसे शुभ समय शाम को 5 बजकर 45 मिनट से रात को 8 बजकर 12 मिनट तक है क्योकि इस समय रवि योग लगा रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा और कथा विधि क्या है?
- हरतालिका तीज व्रत के दिन सुहागन महिलाएं नए हरे वस्त्र पहनकर, हाथों में मेंहदी लगाकर अपना सोलह शृंगार करती है। और सज-धज कर हरतालिका तीज व्रत के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा करती है।
- इस ब्रत में भगवान् शिव और माता पार्वती का विधिवत और सच्चे मन से पूजन किया जाता है। पूजा की समाप्ति के बाद हरितालिका तीज की ब्रत कथा को सुना जाता है और माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है।
- पौराणिक मान्यताओं अनुसार ये कहा जाता है कि जो सुहागन महिला अपने सभी पापों और सांसारिक दुखों को हरने वाले हरितालिका व्रत को विधि पूर्वक कराती है उसके सुहाग की रक्षा स्वयं भगवान भोलेनाथ करते हैं।
- शिव पुराण में लिखित एक कथानुसार इस पावन हरतालिका तीज व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति रूप में पाने के लिए किया था। माता पारवती की तपस्या और आराधना से खुश होकर भगवान शंकर ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा सामग्री क्या है?
हरतालिका तीज व्रत की पूजा सामग्री निम्नलिखित है…
- सिंदूर
- मेहंदी
- हरी चूड़ी
- बिंदी
- काजल
- काली मिट्टी
- बेलपत्र
- आंक का फूल
- तुलसी
- केले का पत्ता
- शमी पत्र
- मंजरी
- जनैऊ
- वस्त्र
- श्रीफल
- सभी प्रकार के फल-फूल
- अबीर
- कपूर
- घी-तेल
- चंदन
- कुमकुम
- दीपक
- 2 सुहाग पिटारा
- पीला कपड़ा
- लकड़ी का पाटा
- नारियल
- माता की चुनरी।
हरतालिका तीज व्रत की दान सामग्री क्या है?
हरतालिका तीज ब्रत में सुहाग की सामग्री ही दान की जाती है। हरतालिका तीज व्रत की दान सामग्री निम्नलिखित है…
- मेहंदी
- बिछिया
- बिंदी
- कंघी
- सिंदूर
- काजल
- कुमकुम
- माहौर
- कलश
- श्रीफल
- अबीर
- घी-तेल
- कपूर
- कुमकुम
- दीपक
हरतालिका तीज व्रत रखने के महत्वपूर्ण नियम क्या है?
हरतालिका तीज व्रत रखने के नियमो का पालन करते हुए महिलाये निर्जला व्रत रख माता पार्वती का पूजन कर अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना कराती है। जैसा की हम सभी जानते है की हरतालिका तीज व्रत रखने के कुछ महत्वपूर्ण नियम है जिसे हर सुहागन और ब्रत करने वाली महिलाओ को मानना पड़ता है जो निम्नलिखित है।
- इस महान व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भारत के कई हिस्सों में तो पूजा के लिए महिलाएं स्वयं शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति कच्ची मिट्टी से तैयार करती हैं.
- तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है और इसमें किसी प्रकार का अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
- इस ब्रत में व्रत का पारण अगले दिन जल पीकर किया जाता है।
- तीज के इस व्रत में आठों प्रहर पूजन का विधान है।
- इस व्रत में रात भर जागकर भगवान शिव और माँ पार्वती के मंत्रों का जाप किया जाता है।
- तीज के व्रत को रखने वाली महिलाओं को हरतालिका तीज व्रत कथा सुनना जरूरी माना जाता है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर एक बार हरतालिका तीज व्रत शुरू कर लिया तो इसे जीवन भर नियमित रूप से रखा जाना चाहिए।
- तीज के इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती को रेशम का वस्त्र अर्पित करना अच्छा माना जाता है।
- हरतालिका तीज व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में करना सबसे शुभ और फलदाई माना जाता है।