अभी कुछ महीने पहले दिल्ली के शाहीन बाग़ में हम और आप देख चुके है की विना किसी तथ्य के सिर्फ मोदी और भाजपा विरोध के लिए महीनो तक कुछ देश विरोधी तत्वों ने पूरी राजघानी को बंधक बना लिया था, आज फिर वही हो रहा है किसान आंदोलन(Kisan Andolan) की आड़ में इन देशद्रोहियों की दुकान फिर चल पड़ी है बस मुद्दा अलग है लेकिन इसके पीछे मकसद सिर्फ और सिर्फ अलगाववाद!
किसान आंदोलन(Kisan Andolan) एक सोची समझी साजिश!
आप देखेंगे की जैसे जैसे Kisan Andolan आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे की साजिश और इसके शाजिशकर्ता सामने आ रहे है। अब तो खुलेआम खालिस्तान के सपोर्ट में पोस्टर लहराए जा रहे है और खलिस्तानिओं का मंच से गुड़गान किया जा रहा है। पूरा का पूरा आंदोलन आज अलगाववाद की राजनीती की भेट चढ़ गया है और इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ देश तोड़ने वाली अलगाववादी शक्तिओं का हाथ है।
क्या है किसान आंदोलन का शाहीन बाग़ मॉडल?
चलिए इस पूरे Shaheen Bagh मॉडल को समझते है, आप शाहीन बाग को अभी भूले नहीं होंगे ? कैसे मुठ्ठी भर अलगाववादियों ने दिल्ली सहित पुरे भारत में बवाल मचा रखा था और पुरे दिल्ली को एक तरह से बंधक बना रखा था, और उसमे कैसे कैसे पोस्टर का प्रयोग होता था, इसके पीछे भी वही ताकते थी जो JNU में आतंकवादी अफज़ल गुरु की बरसी मनाती थी ये वही लोग है जो आतंकी याक़ूब मेनन को बचाने के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट दरवाज़ा खुलवाकर उसे माफ़ी देने की बात कर रहे थे। इनका बस एक ही लक्ष है भारत की बर्बादी। अब जब Kisan Andolan कर रहे है तो उसमे भी ये ताक़तें सक्रीय हो गई है और उसमे खालिस्तानी एंगल डाल कर पंजाब के किसानो को गुमराह किया जा रहा है।
आखिर क्यों नहीं मान रहे किसान ?
सवाल है आखिर जब सरकार किसानो की सुनवाई कर किसान बिल में संसोधन के लिए तैयार है फिर किसान क्यों नहीं मान रहें है। इसके पीछे की राजनीती क्या है ? क्यों सभी विपक्षी दल किसानो को भड़का रहे है ? इसका जबाब बिलकुल साफ़ है अब यह किसान आंदोलन न होकर राजनैतिक एजेंडा बन गया है और राजनैतिक गिद्ध दिल्ली बॉर्डर को शाहीन बाग़ पार्ट 2 (Shaheen Bagh 2) में तब्दील कर दिया है सभी देश विरोधी ताकते जो शाहीन बाग़ में एक्टिव थी यहाँ भी उन्हें पैर फ़ैलाने का मौका मिल गया है।