Kalyan Singh admitted to ICUKalyan Singh admitted to ICU

Kalyan Singh admitted to ICU: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हालत बेहद गंभीर है और उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री Kalyan Singh का चैतन्यता का स्तर कम है और उन्हें लोगों को पहचानने में दिक्कत आने की वजह से देर शाम लोहिया संस्थान से SPGI में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

कल शाम से ही उनका हाल जांनने के लिए हॉस्पिटल में बड़े नेताओं का जमावड़ा लगाना सुरु हो गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने मुलाकात कर उनका हालचाल लिया।

 

अब कैसी है कल्याण सिंह की तबियत?

Kalyan Singh admitted to ICU

बीजेपी के बड़े नेता, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह करीब 15 दिनों से बीमार चल रहे हैं पहले उन्हें 21 जून को लोहिया संस्थान में भर्ती कराया गया था जहां  जांच के दौरान उनके शरीर में अनियंत्रित ब्लड शुगर एक्यूट, बैक्टीरियल पैरोटिसिस और सेपस्सि की शिकायत पाई गई। जिसके कारण उनके शरीर में सूजन और संक्रमण का खतरा बढ़ गया था।

लखनऊ स्थित लोहिया संस्थान के मीडिया प्रभारी डा. श्रीकेश सिंह ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को दवाएं देने पर संक्रमण कम हुआ। लेकिन मस्तिष्क के सीटी स्कैन में खून का थक्का पाया गया और इसी बीच 3 जुलाई को ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाने के कारण उन्हें माइनर हार्ट अटैक भी आया जिसकी वजह से उन्हें ईसीयू में शिफ्ट किया गया है। अभी की ताज़ा खबर यही है की Kalyan Singh admitted to ICU.

 

कौन हैं कल्याण सिंह?

Kalyan Singh का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री तेजपाल लोधी और माता का नाम श्रीमती सीता देवी था वे एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं वे भाजपा के उन बड़े नेताओं में से एक हैं जिनकी वजह से आज पार्टी भारत की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में सफल रही है।

कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, बाद में उन्हें 26 अगस्त 2014 को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्हें एक राष्ट्रवादी, हिन्दुत्व वादी के रूप में जाना जाता है।

 

Kalyan Singh को लोग किसलिए याद करते है?

वो जून 1991को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। आपको बता दे कि बाबरी मस्जिद विध्वंस इन्ही के कार्यकाल हुआ था और इन्होने खुद इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। लोग उनके इस बोल्ड और राजनैतिक के लिए भी याद करने है। उन्हें इसकी अगले चुनाव भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी और उनकी पार्टी सत्ता से बहार हो गई लेकिन उनका विश्वाश कभी कम नहीं हुआ और वे आज भी अपने उस किये गए निर्णय पर कायम है। 

 

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