इजरायल vs 57 इस्लामिक देशइजरायल vs 57 इस्लामिक देश

ये वर्ल्ड मैप देखिये! इसमें चारो तरफ़ जो हरे रंग के देश दिखेंगे ये सब इस्लामिक देश है और इन सबके बीच में आपको एक छोटा सा पीला रंग का एक स्पॉट दिखाई देगा वो इज़राइल है। ये सारे “हरे” देश रोते हैं और कहते हैं कि इन्हें इजराइल से ख़तरा है, वो जो बीच मे पीला चिन्ह है छोटा सा वो इन सब हरे वालों के लिए खतरा बना हुआ है।

जितने यहां भारत मे बैठे हैं, जितने पाकिस्तान में बैठे हैं, जितने भी 57 मुस्लिम देशों में बैठे हैं, उन सबको ये देखना, जानना औए समझना ही नहीं होता है कि इस्राइल है क्या? वहां के लोग क्या हैं या कैसे हैं? किसने उन्हें अपने वतन से निकाला? किसने मारा? इन्हे कोई लेना देना नहीं, उन्हें बस एक बात से लेना देना होता है कि इतने इस्लामिक मुल्क़ों के बीच ये यहूदी देश क्या कर रहा है और सबसे बड़ी बात की अभी तक ज़मीन का वो पीला हिस्सा “हरा” क्यूं नहीं हुआ ! बस इतनी सी बात है।

 

इजरायल vs 57 इस्लामिक देश

इनका सिर्फ़ एक ही एजेंडा होता है कि कैसे कोई ग़ैर मुस्लिम, मुसलमानों के साथ लड़ सकता है और उन्हें मार सकता है बस यही सब कुछ है! इनके पोस्टों में बातों की चाशनी, इंसानियत और दुनिया भर के इमोशनल ड्रामा मिलेगा मगर आपको उस ड्रामे का कोई मोल नहीं, सिरे से बकवास और आपको और हमें उल्लू बनाने का पूरा प्रोपोगंडा होता है।

लगातार मैं पोस्ट देख रहा हूँ बीते कुछ दिनों से फ़िलिस्तीन समर्थकों की, सब बता रहे हैं कि “हिटलर” कितना अच्छा था जिसने इन यहूदियों को बुरी तरह से मारा, इनका और इनके बच्चों का नरसंहार किया। बोल रहे हैं कि ये लोग हैं ही इसी लायक़, हर तरीके से हिटलर को जस्टिफाई कर रहे हैं। फिर ये मोदी को हिटलर बोल के गाली भी देते हैं और हिटलर की जीवनी शेयर करके उसे मोदी से तुलना करेंगे फिर गाली देंगे।

अभी इस टाइम हिटलर इनके लिए रहमतुल्लाह अलैह बना हुआ है, सोचिये गोडसे समर्थन के लिए भक्तों को गाली देने वाले आजकल हिटलर के शान में क़सीदे पढ़ रहे हैं और कह रहे हैं कि काश हिटलर ने यहूदियों की सारी नस्ल ही ख़त्म कर दी होती।

 

आखिर उन्हें और आतंकवादी घटनाएं क्यों नहीं दिखती?

अभी 9 मई को अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों के स्कूल में बम ब्लास्ट हुआ था और क़रीब 70 बच्चे मारे गए। क्या आपने कोई पोस्ट देखी? किसी भी फ़िलिस्तीन समर्थक के वाल पर, कोई रोना धोना देखा? कुछ नहीं! अभी-अभी पाकिस्तान में फ़िलिस्तीन की विजय बता के वहां के समर्थन में रैली निकाली थी वहां भी बम फट गया 6 लोग मर गए उसका भी कोई रुदन नहीं होगा।

मेरी उम्र बीती जा रही है ये मक्कारियों देखते हुए, भारत मे नए नए पैदा हुए बच्चे जो अभी बीस बाईस साल के होते हैं वो जान ही नहीं पाते कि ये जो पक्की उम्र वाले मक्कारियाँ कर रहे हैं, ये कोई नई नहीं है, ये सदियों से चल रहा है और ऐसे ही शोर मचा मचा के एक छोटा सा पीला चिन्ह वाला देश जो बचा है, उसे भी नेस्त ओ नाबूद करने की कवायद है… बस।

अब मैं बस इनकी नौटंकियां देखता हूँ और अब सच मे मज़े लेता हूँ, न तो मुझे इजराइल कुछ देगा और न फ़िलिस्तीन! तो क्या समर्थन और क्या विरोध! क्यूंकि मैं इंसान हूँ इसलिए ग़ाज़ा में मारे जाएंगे लोग तो भी दुख है इजराइल में मारे जाएंगे तो भी, मगर ये चाहते हैं कि बस एक साइड में मौतें हों और वो भी इनके भाईयों के द्वारा और इजराइल में बम गिरता है तो ये नाचते हैं, फिर एक आदमी ग़ाज़ा में मारा जाएगा तो लंबी चौड़ी इमोशनल पोस्ट करेंगे इंसानीयत का वास्ता देकर!

इसलिए इनके चक्कर मे न पड़िये क्योकि ये दूसरों को ज्ञान देंगे कि “आपने मंदिर के लिए वोट दिया था अब भुगतो” और वहां दूसरे देश की मस्जिद जहां इनके बाप दादा भी कभी न गए “अल अक़्सा के लिए” इसी कोरोना महामारी में हाय हाय कर रहे हैं। सुनिए अगर कोई इनको तलवार दे दे तो वहां जाके लड़ भी आएंगे फिलिस्तीन और अल अक़्सा के लिए।

by- Siddharth Tabish (सिद्धार्थ ताबिश)

 

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