Crackers can be used during christmas and new year : NGT
दिवाली के समय देश मे कोरोना और प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने पटाखों पर लगे बैन लगाया था और फिर इसे अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया था । लेकिन अब क्रिसमस और ईसाई न्यू ईयर को ध्यान में रखते हुए NGT(National Green Tribunal) ने कुछ छूट देने फैसला किया है।
एनजीटी ने कहा है कि क्रिसमस और न्यू ईयर के मद्देनजर देश के बिभिन्न इलाकों में जहाँ एयर क्वालिटी मॉडरेट स्तर पर है, वहाँ पटाखे रात को 11:55 बजे से 12.30 तक यानी 35 मिनट के लिए चलाने की अनुमित होगी।
दिवाली में NGT ने लागू था पूर्ण प्रतिबंध!
चलो अब कुछ बुद्धिजीवी इसपर भी ज्ञान देंगे जो उस समय दिवाली क्रैकर बैन को सही साबित कर रहे थे। अब सवाल यह उठता है की ऐसा क्यों जब एक बड़े तबके को इससे बंचित रखा गया और किसी बिशेष समुदाय के त्यौहार पर छूट क्यों ?
क्या प्रदूषण सिर्फ दिवाली में होता है ? क्या पानी सिर्फ होली में ही बर्बाद होता है ? जब किसी त्यौहार में खून की नदिया बहती है तो सभी के मुँह पे ताले क्यों लग जाये है ? ज्ञान सिर्फ हिन्दू त्योहारों पे क्यों दिए जाते है ?
NGT का ये “crackers can be used” फैसला कितना सही ?
ऐसे फैसलों पर सवाल तो बहुत उठते है और उठाना भी लाज़मी है क्योकि ये कोई छोटी बात नहीं है विषय गंभीर है और ये बताता है की हम किस दिशा में जा रहे या यूँ कहें की हमें किस दिशा में बहकाके ले जाया जा रहा है। और इसके पीछे कौन है या किसकी शाजिश है है ?
पिछले महीने दीवाली से ठीक पहले NGT ने 9 नवंबर को पटाखों के खरीद-फरोख्त और स्टोरेज पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। एनजीटी की तरफ से यह प्रतिबंध 30 नवंबर तक के लिए लगाया गया था, दीवाली पर इसी NGT के आदेश पर पटाखे चलाने के जुर्म में 850 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था।
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